देवी मंदिर पचनेही - भद्रकाली - Devi Mandir Pachanehi - Pachnehi - Bhadrakali Mandir Pachnehi
वस्तुतः यह पूरा गांव मूल रूप से राजपूतों का है और यहाँ पर मूल रूप से राजपूतों की उपजाति वैश रहते हैं - जिनका मूल निवास उन्नाव जिले के डौंडिया खेरा में माना जाता है जहाँ अभी कुछ दिनों पहले केंद्रीय सरकार के द्वारा कुछ अफवाहों के आधार पर स्वर्ण खुदाई का बड़ा लम्बा ताम-झाम लगाया गया था -!
जैसा की लगभग बहुत से लोगों को मालूम होगा किवदंतियों के आधार पर वैश राजपूतों का वर्गीकरण निम्न प्रकार है -!
मूल जाति :- क्षत्रिय
उपजाति :- वैस / बैस
वंश :- वंश का आधार कई जगह पर भिन्न - भिन्न माना जाता है जैसा की मैंने जब कई जगहों पर इस बात का विश्लेषण किया तो कहीं मुझे - चंद्रवंशी और कई जगह सूर्यवंशी के उद्धवरण मिले - लेकिन सर्वमान्य तथ्य है की इनका सम्बन्ध सूर्यवंश से है और किवदंतियों के आधार पर ये भगवान श्रीराम के लघु भ्राता लक्ष्मण के वंशज माने जाते हैं - इनकी कुलदेवी माता भद्रकाली हैं एवं इनका जनजातीय टोटम कोबरा माना जाता है -!
मूल स्थान :- डौंडिया खेरा जिला उन्नाव उत्तर प्रदेश
मंदिर एवं मूर्ति उद्भव :- जहाँ पर आज मंदिर बना हुआ है वहां पर मूर्ति का उद्भव जमीन के अंदर से हुआ है और वास्तव में यह मूर्ति देखने पर शिवलिंग की तरह दिखती है जिसकी वजह से इस गावं में रहने वाले नयी पीढ़ी के लोगों को इस बात तक का पता नहीं है की यह मूर्ति किस देवी या देवता की है - उन्हें बस इतना पता है की यह देवी जी का मंदिर है -!
इस मूर्ति का उद्भव भी कब हुआ यह ठीक - ठीक कह पाना मुश्किल है क्योंकि इसके बारे में भी इस गावं में लोग कुछ बता पाने में असमर्थ हैं तो जाहिर सी बात है की इस मूर्ति के लिए भवन निर्माण का कार्य सर्वप्रथम किसने करवाया यह जान पाना भी बहुत मुश्किल सा है -!
लेकिन प्रचलित जनश्रुतिओं के आधार पर यह प्रचलित है की एक दिन रात में तत्कालीन किसी पूर्वज को सपने में देवी माँ ने दर्शन दिए और कहा कि " फलां जगह पर मेरी पिंडी जमीन से बाहर निकेलगी - उस स्थान पर मेरी पूजा होगी - लेकिन ध्यान रहे जिस स्थान पर मेरी पिंडी का उद्भव होगा वहां पर मेरी पिंडी के साथ कोई छेड़छाड़ या नहीं की जाये - यदि किसी ने भी ऐसा करने की कोशिश की तो उसे मेरे कोप का भाजन बनना पड़ेगा "-!
इस सम्बन्ध में गांव के ही कुछ नयी सोच रखने वाले लोगों ने जब कुछ सालों पहले इस बात का खंडन करने के उद्देश्य से पिंडी के पास कुछ निर्माण कार्य करने की सोच के साथ कार्य प्रारम्भ करवाने की कोशिश की तो उन्हें कई प्रकार की मानसिक एवं शारीरिक विपत्तियों का सामना करना पड़ा -!
इसके बाद तत्कालीन पूर्वजों ने मंदिर का निर्माण करवा दिया - फिर धीरे - धीरे मंदिर प्रांगड़ की दीवारें जो मिटटी और चूने से बानी हुयी थीं ध्वस्त होने लगीं -!
नवयुवा समाज से गांव के कुछ संपन्न लोगों द्वारा काफी सहयोग भी प्रदान किया जा रहा है माध्यम से इस सिद्ध मंदिर के कायाकल्प होने के आसार नजर आ रहे हैं -!
धनाभाव के चलते पिछले नवरात्रों में नवयुवक कमेटी द्वारा मूर्ति स्थापना के कार्यक्रम पर प्रश्नचिन्ह लग जाने की वजह से गावं के ही पुत्र एवं भारतीय प्रशासनिक सेवा के श्री राजाबाबू सिंह जो वर्तमान इंडो तिब्बत सेना के इंस्पेक्टर जनरल के पद पर आसीन हैं उनके द्वारा समस्त खर्च वहन किया गया तथा इस बात का संकल्प लिया की आने वाले समय में भी वे इस कार्य को अनवरत जारी रखेंगे -!
मैं उम्मीद करता हूँ कि तथाकथित इंस्पेक्टर जनरल साहब जो की धार्मिक कार्यों में बहुत रूचि लेते हैं इस पवित्र कार्य में हमेशा अपना योगदान देते रहेंगे और इस अलख को जगाये रहेंगे - जिससे की आने वाली पीढ़ियों में भी अपने धर्म - देवस्थानों तथा धार्मिक कार्यों रुझान बने एवं लोग भौतिकता से उठकर आध्यात्म को पहचानें -!
इसके पश्चात गांव के कुछ नवयुवा लोगों ने एक कमेटी का गठन किया और नवरात्रों में मूर्ति स्थापना इत्यादि के कार्यक्रमों का आयोजन होने लगा - इसके बाद कुछ अभिभावकों ने एक कमेटी का गठन किया और ग्राम समाज के सहयोग से मंदिर के पुनर्निर्माण का कार्य प्रारम्भ हुआ - आज काफी हद तक पुनर्निर्माण का कार्य हो चूका है एवं अनवरत जारी भी है -!
विशेष :- इस गांव की एक खास बात यह है की आज तक यहाँ कोई मुस्लिम नहीं रह सकता - यह किसी इंसान की विरोधी प्रवृत्ति नहीं है बल्कि यह प्राकृतिक चक्र है - इस प्रकार की किवदन्तिओं को असत्य सिद्ध करने के लिए अब तक कई मुस्लिम परिवारों के द्वारा ऐसी कोशिशें की गयी हैं लेकिन कभी भी उनका समय काल कुछ वर्षों से ज्यादा का नहीं रहा और अंततः उनका सब कुछ इसी गांव में स्वाहा हो गया ना घर बचा ना परिवार अब इसे क्या कहेंगे यह तो मैं नहीं कह सकता बस इसे एक दैवी खेल के अलावा और कुछ नहीं कहा जा सकता -!
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