Saturday 3 May 2014

Maa Tara Chaleesa - माँ तारा चालीसा - Tara Chalisa - तारा चालीसा

माँ तारा चालीसा




जय तारा जगदम्ब जै - जय कृपाद्रष्टि की खान।
कृपा करो सुरेश्वरि - मोहि शरण तिहारी जान।।

  1. माता तुम ही जगत की पालन हारी - तुम ही भक्तन कि भयहारी। 
  2. तुम ही आदिशक्ति कलिका माइ - तुम ही सन्त जनों की सुखदायी। 
  3. तारणी तरला तन्वी कहलाती - निज जनो की मंगलदाता कहलाती। 
  4. तारा तरुणा बल्लरी तुम ही - तीररुपातरी श्यामा तनुक्षीन हो तुम ही। 
  5. बामा खेपा की पालन कर्त्री - माँ तुम ही कहलाती हो सिद्धि दात्री। 
  6. माता रूप तुम्हारा अति पावन - भक्तन की हो तुम मनभावन। 
  7. तुमसे इतर नहीं कछु दूजा - तुम हो सुर-नर मुनि जन की भूपा। 
  8. तुम ही माता नागलोक मे बसती - जन-जन की विपदा हरती। 
  9. तुम ही माता कहलाती प्रलयंकारी - सकल त्रैलोक्य की भयहारी।
  10. माँ तुमने ही शिव प्राण बचाये - तुम्हरे सुमिरन से विष पार ना पाए। 
  11. दस महाविद्या क्रम मे तुम आती - द्वितीय विद्या तुम कहलाती। 
  12. माता तुम ही सरस्वती कहलाती - तुम ही हो ज्ञान की अधिष्ठात्री। 
  13. नील सरस्वती है नाम तिहारो - चहूँ लोक फैलो जगमग उजियारो। 
  14. श्मशान प्रिय श्मशाना कहलाती - एकजटा जगदम्बा कहलाती। 
  15. माता शिव तुम्हरी गोद विराजे - मुण्डमाल गले मे अति साजे। 
  16. बाम मार्ग पूजन तुम्को अति प्यारा - शरणागत की तुम हो सहारा। 
  17. वीरभूमि कि माता तुम वासिनी - तुम ही अघोरा तुम ही विलासिनी। 
  18. तुम्हरो चरित जगत आधारा - तुमसे ही माँ चहुँ दिशि उजियारा। 
  19. तुम्हरो चरित सदा मै गाउं - तुमहि मात रूप मे पाऊं। 
  20. चिंता सगरी हरो महतारी - तुम्हरो आसरा जगत मे भारी। 
  21. तुरीया तरला तीव्रगामिनी तुमही - नीलतारा उग्रा विषहरी भी तुमही। 
  22. तुम परा परात्परा अतीता कहलाती - वेदारम्भा वेदातारा कहलाती 
  23. अचिन्तयामिताकार गुणातीता - बामाखेपा रक्षिता बामाखेपा पूजिता। 
  24. अघोरपूजिता नेत्रा नेत्रोत्पन्ना तुमहि - दिव्या दिव्यज्ञाना भी तुमहि। 
  25. सब जन मन्त्र रूप तुमहि माँ जपहि - त्रीं स्त्रीं रूप का ध्यान सब धरहिं । 
  26. मुझ पर माँ कृपाल हो जाओ - अपनी कृपा का अमिय जल बरसाओ।
  27. काली पुत्र निशदिन तुम्हे मनावे - निश-वासर माँ तुमको ध्यावे।
  28. खडग खप्पर तुम्हरे हस्त विराजे - खष्टादश तुम्हरी कळा अति साज़े। 
  29. तुमने माता अगम्य चरित दिखलायो - अक्षोभ ऋषि को मान बढ़ायो। 
  30. माता तारा मोरे हिय आय विराजो - नील सरस्वती बन साजो। 
  31. तुम ही भक्ति भाव की अमित सरूपा - अखिल ब्रह्माण्ड की भूपा। 
  32. बिन तुम्हरे नहि मोक्ष अधिकार - तुमसे है माता जगत का बेङा पार। 
  33. आकर मात मोहि दरस दिखाओ - मम जीवन को सफल बनाओ। 
  34. रमाकांत है तुम्हारि शरण मे - दीजो माता मोहि जगह चरण मे। 
  35. जो मन मन्दिर मे तुमहि बसावे - उसका कोई बाल न बांका कर पावे। 
  36. तुम्ही आदि शक्ति जगदीशा - ब्रह्मा विष्णु शिव सब नवायें शीशा। 
  37. तुम ही चराचर जगत कि पालनहारी - तुम ही प्रलय काल मे नाशनकारी। 
  38. जो नर पढ़ें निरन्तर तारा चालीसा - बिनश्रम होए सिद्ध साखी गौरीशा।
  39. जो नर-सुर मुनि आवे तुम्हरे धामा - सफल होयें उनके सब कामा। 
  40. जय जय जय माँ तारा - दीन दुखियन की तुम हो मात्र सहारा। 

निशदिन माता तारिणी तुम्हे नवाऊँ माथ ।

हे जगदम्ब दीज्यो मोहि सदा तिहारो साथ । ।
बिन तुम्हरे इस जगत मे नहि कोइ आलम्ब ।
तुमही पालनहार हो दक्षिणवासिनी जगदम्ब । ।


2 comments:

  1. We are need Tara Chalisa Dr Tara and Vigi
    Tara Nadal Madhu Jay Rabi duti Bimal Vikash

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  2. jay maa tera devi apki jay

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