Wednesday, 26 February 2014

महाशिवरात्रि षोडशोपचार पूजन विधि - Shiv Shodsopchar Poojan

महाशिवरात्रि षोडशोपचार पूजन विधि




शिवपुराण के अनुसार व्रत करने वाले पुरुष को महाशिवरात्रि के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान-संध्या आदि कर्म करना चाहिए.

मस्तक पर भस्म का त्रिपुण्ड्र तिलक और गले में रुद्राक्ष की माला धारण करें.

पास के शिवालय में जाकर शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन एवं शिव को नमस्कार करना चाहिए.

तत्पश्चात् महाशिवरात्रि व्रत का इस प्रकार संकल्प करना चाहिए -

शिवरात्रिव्रतं ह्यतत् करिष्येऽहं महाफलम्।
निर्विघ्नमस्तु मे चात्र त्वत्प्रसादाज्जगत्पते॥

प्रथम प्रहर में संकल्प करके दूध से स्नान और “ॐ हीं ईशानाय नम:” का जप करें.

द्वितीय प्रहर में दधि स्नान करके “ॐ हीं अधोराय नम:” का जप करें.

तृतीय प्रहर में घृत स्नान एवं मंत्र “ॐ हीं वामदेवाय नम:”

चतुर्थ प्रहर में मधु स्नान एवं “ॐ हीं सद्योजाताय नम:” मंत्र का जप करें.

महाशिवरात्रि मंत्र और समर्पण

महाशिवरात्रि पूजा विधि के दौरान हर समय “ॐ नम: शिवाय” मंत्र का जप करते रहना चाहिए.

1. ध्यान
2. आसन
3. पाद्य
4. अर्घ्य
5. आचमन
6. स्नान
7. दूध स्नान
8. दधि स्नान
9. घृत स्नान
10. गंधोदक स्नान
11. शर्करा स्नान
12. पंचामृत स्नान
13. शुद्धोदक स्नान
14. अभिषेक
15. वस्त्र
16. यज्ञोपवीत
17. उपवस्त्र
18. बेल पत्र
19. धूप
20. दीप
21. नैवेद्य
22. चंदन का लेप
23. ऋतुफल
24. तांबूल-पुंगीफल
25. दक्षिणा रख कर "समर्पयामि" कहकर पूजा संपन्न करें.
26. आरती (कपूर आदि से )
27. प्रदक्षिणा,
28. पुष्पांजलि,
29. शाष्टांग प्रणाम

और इसके पश्चात् अपना सारा पूजन कर्म शिवार्पण करें.

और इस प्रकार से षोडशोपचार पूजा सम्पन्न करके अपनी पूजा का समापन करें

महाशिवरात्रि व्रत प्राप्त काल से चतुर्दशी तिथि रहते रात्रि पर्यन्त करना चाहिए.

रात् के चारों प्रहरों में भगवान शंकर की पूजा-अर्चना करने से जागरण, पूजा और उपवास तीनों कर्मों का एक साथ पालन हो जाता है और भगवान शिव की विशेष कृपा और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.

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