Monday, 3 March 2014

Maa Bhadrakali - माँ भद्रकाली

Maa Bhadrakali - माँ भद्रकाली





प्रस्तुत है माता भद्रकाली पर एक विवेचन :-


माता भद्रकाली के अवतरण से सम्बंधित मुख्यतः तीन मत प्रचलित हैं जिनमे से :-


१. देवी महात्म्य के आधार पर शक्ति अवतरण कि कथा जिसमे जब रक्तबीज नाम का दैत्य जो महापराक्रमी था एवं उसे यह वरदान प्राप्त था कि किसी से युध्ह करते समय उसके शरीर से जो रक्त कि बूंदें धरती पर गिरेंगी उन बूंदों से उससी के सामान पराक्रमी रक्तबीज उत्पन्न हो जायेंगे --- अस्तु जब माँ दुर्गा दैत्यों के संहार करते समय रक्तबीज से युध्ह कर रही थीं उस समय जब रक्तबीज से उनका संघर्ष प्रारम्भ हुआ उस समय अनेको रक्तबीज पैदा हो गए इसी समय माता ने अपने शरीर से तामसी प्रवृत्ति कि मातृका शक्ति को निर्गत किया जो जोरों से अट्टहास करती हुयी जीभ लपलपाती हुयी सम्पूर्ण युध्ह भूमि में विचरण करने लगीं और रक्तबीज पर प्रहार करते समय जितना भी रक्त निकलता उसका पान करने लगीं और अंततः उस दैत्य का अंत हुआ !


२. दूसरी कथा जो प्रचलित है उसके आधार पर पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में जो वर्णन मिलता है वह राजा दक्ष और उनके यज्ञ से जुड़ा हुआ है जिसमे जब उन्होंने खुद का दाह किया उस समय वे अति क्रोध कि अवस्था को प्राप्त हुयीं और इस समय उनका रूप काला पड गया तह उनकी प्रकृति माता काली जैसी हो गयी इस रूप में यह विशेषता होती है कि किसी एक पक्ष कि समाप्ति से पहले शक्ति का तुष्टिकरण सम्भव नहीं होता यानि कि या साध्य का अंत या साधन का अंत और इस प्रकार माता सटी ने खुद का अंत किया


३. इस मत के हिसाब से प्राचीन काल में दारुक नाम का एक अति प्रतापी दैत्य हुआ उसके संहार के लिए भगवन शिव कि पुत्री के रूप में माता भद्रकाली का प्रादुर्भाव हुआ और वीरभद्र नामक गण इनके भ्राता के रूप में जाने जाते हैं जिनका प्रादुर्भाव दक्षयज्ञ विध्वंश के समय हुआ था


अन्य :- कहीं कहीं पर एक प्रसंग और भी आता है जिसमे जब कार्तिकेय का युद्ध पराक्रमी असुर शंखासुर के साथ हुआ था तब भी इनके प्रादुर्भाव का उल्लेख मिलता है


यदि इनके नाम का संधि विच्छेद देखा जाये तो इस प्रकार होता है :-


भद्र = भा + द्र


जिसमे भा का अभिप्राय है माया
एवं द्र शब्द एक अतिशयता पूर्ण महत्त्व रखता है या महानता का सूचक है
इस प्रकार से इसका अर्थ होता है = भद्र = महामाया अर्थात महामाया काली = भद्र काली


एक किवदंती के अनुसार छोटी माता या बड़ी माता नाम कि बीमारी जिसे चिकनपॉक्स के नाम से जाना जाता है उसकी अधिष्ठात्री माँ भद्रकाली ही हैं और उन्ही के रुष्ट होने से ये बीमारी अपने पैर फैलाती है


माता भद्रकाली का प्रमुख प्रभाव और भक्ति के लिए निम्न क्षेत्र अतयधिक प्रसिद्द हैं :-


१. केरल
२. तमिलनाडु
३. आंध्र प्रदेश
४. कर्नाटक


इनके दो प्रमुख भक्तों का नाम सामने आता है


१. विक्रमादित्य :- कहते हैं कि महाराज विक्रमादित्य कि अध्यात्मिक शिक्षक माता भद्रकाली ही हैं


२. महाकवि कालिदास :- महाकवि कालिदास भी माता के अनन्य भक्त थे और उन्ही कि कृपास्वरूप उनका विशुद्ध चक्र जाग्रत हुआ था जिसकी वजह से वे महँ रचनाएं कर सके !




माता भद्रकाली के प्रमुख मंदिरों का विवरण कुछ इस प्रकार है :-


१. वारंगल भद्रकाली मंदिर - आंध्र प्रदेश ( ऐसा मन जाता है कि इस मंदिर का निर्माण चालुक्य राजा पुलकेशिन द्वितीय के द्वारा ६२५ AD में कराया गया था


२. त्रिवुअरकाडू भगवती मंदिर - पायन गढ़ी कुन्नूर -- ऐसा मन जाता है कि दारुकासुर के वध के उपरांत देवी यहीं प्रतिष्ठित हो गयीं इस मंदिर का निर्माण भट्टारक के द्वारा करवाया गया था यहाँ का मंदिर कला जादू से मुक्ति के लिए मशहूर है


३. कोडुंगल्लूर भगवती मंदिर - त्रिस्सुर केरल - इस मंदिर का निर्माण संगम काल में हुआ था यह भी एक अत्यंत प्राचीन मंदिर है


४. थिरुमंधामकून्नू भगवती मंदिर केरल


५. कलारिवाथुक्कल भगवती मंदिर केरल


६. थिरुमंधामकून्नू भगवती मंदिर अंगादिपुरम


७. चेट्टिकुलंगारा भगवती मंदिर केरल


८. पाण्यांनारकावू भगवती मंदिर केरल


९. पाट्टुपुरक्कावु भगवती मंदिर


१०। कलिका माता मंदिर चित्तौरगढ़


११. सरकारा देवी मंदिर तिरुवनथपुरम


१२. मलायलाप्पुज़हा भगवती मंदिर


१३. एलांगावत कावु


१४. वेल्लयानी भगवती मंदिर त्रिवेंद्रम


१५. एक अन्य मंदिर मालवा क्षेत्र में बजना / बाजना नमक स्थान पर भी मिला है जो रतलाम से ३६ किलोमीटर कि दुरी पर है


१६. पाथिराकली अम्मन मंदिर ट्रिंकोमाली


१७. मुल्लुथारा भगवती मंदिर अडूर


१८. मलामेक्कारा मंदिर केरल


१९. हरयाणा के कुरुक्षेत्र में स्थित देवीकूप नामक स्थल पर जो शक्तिपीठ स्थित है इस शक्तिपीठ को भी माँ भद्रकाली के मंदिर के नाम से जाना जाता है इसकी शक्ति सावित्री देवी हैं


नोट :- मेरा यह लेख विकिपीडिआ पर उपलब्ध जानकारी पर आधारित है इसमें स्थान नाम में कुछ कमियां हो सकती हैं जो भाषा परिवर्तन सम्बन्धी अशुद्धियों कि श्रेणी में आती हैं -!


कुछ उद्धवरण भी यदि सत्यापित नहीं होते हैं तो इसमें किसी प्रकार का वाद विवाद अपेक्षित नहीं है हाँ उसमे सुधर अवश्य अपेक्षित है और आमंत्रित है




जय माता महाकाली

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