गायत्री मन्त्र
विधि :-
१. माला :- तुलसी / चन्दन
२. माला का रंग :- सफ़ेद
३. आसन :- सुखासन
४. आसन का रंग :- सफ़ेद किन्तु ऐसा जो कि ऊष्मा का कुचालक हो ( जैसे कि रेशमी / कम्बल / कुश घास का / उपलब्धतानुसार
५. जप समय :- सामान्य साधकों हेतु तीन संध्याएं विहित हैं जिसमे प्रथम ( सुबह ४:०० बजे से ०७:३० तक एवं ) द्वितीय संध्या ( पूर्वान्ह एवं अपरान्ह संधिकाल ११:०० से दोपहर १:३० बजे तक ) तृतीय संध्या ( सायंकाल ०४:३० से ०७:३० तक )
६. जप संख्या :- ३ लाख
७. न्यूनतम जप संख्या :- ३ माला प्रतिदिन
८. जप प्रारम्भ करने का दिन :- कोई भी लग्न काल या फिर सोमवार,शुक्रवार या रविवार
९. मुख की दिशा :- सुबह पूर्व एवं सायंकाल पश्चिम
गायत्री मंत्र:- ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् ।
ॐ = प्रणव
भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला
भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला
स्वः = सुख़ प्रदाण करने वाला
तत = वह
सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल
वरेण्यं = सबसे उत्तम
भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्य = प्रभु
धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य
धियो = बुद्धि
यो = जो
नः = हमारी
प्रचोदयात् = हमें शक्ति दें
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