Monday 31 March 2014

Chandika Dalam - चंडिका दलम

चण्डिका दलम एक बहुत ही प्रभावशाली स्तोत्र है - जिसका अनुष्ठान करके किसी भी तरह कि ऊपरी हवा - प्रेत दोष - इतर योनि दोष इत्यादि का निवारण होता है -!

यह स्तोत्र स्वयं सिद्ध है अतः इसे सिद्ध करने कि कोई आवश्यकता नहीं होती बस इसका विधिवत अनुष्ठान करें और सरे दोषों से मुक्ति स्वतः ही मिल जायेगी -!

इस स्तोत्र का अनुष्ठान ४० दिनों का होता है इन चालीस दिनों से पहले ही आपको इसका प्रभाव स्पष्ट नजर आने लगेगा - किन्तु कई बार गृह दोषों या नक्षत्र दोषों कि वजह से तत्काल प्रभाव परिलक्षित नहीं होता है इसलिए चिंता करने कि कोई बात नहीं होती बस मन लगाकर समर्पण से स्तोत्र का पाठ अंततः आपको सारी बाधाओं से मुक्ति दिलाता है -!







विधि :-


समय :- मध्य रात्रि १२:०० बजे 

आसन :- लाल रंग का 

दिशा :- उत्तर या पूर्व कि अपनी सुविधानुसार चुनें 

साधन :- माता चंडिका का एक चित्र किसी चौकी पर स्थापित करें जिस पर लाल रंग का आसन बिछा हुआ हो इसके बाद माँ को लाल रंग कि चुनरी समर्पित करें और अपनी समस्या को माँ के सामने दोहराएँ तथा निवारण के लिए उनसे प्रार्थना करें -!

पूजा विधान :- पंचोपचार 

अ. धुप ( धुप / अगरबत्तियां गुग्गल कि होनी चाहिए )

ब. दीप ( दीपक चौमुखी होगा एवं सरसों के तेल का होगा )

स. पुष्प ( पुष्प लाल रंग के होंगे - गुलाब हो तो अति उत्तम )

द. इत्र ( इत्र भी गुलाब का ही होगा )

य. नैवेद्य ( नैवेद्य में ऋतुफल / भोजन सामग्री होगी जो कम से कम एक व्यक्ति के खाने योग्य हो )


स्तोत्र का पाठ करें ( स्तोत्र का पाठ करते समय उच्चारण इतना तेज होना चाहिए कि आवाज आपके चारों तरफ या फिर जिस कमरे में आप पाठ कर रहे हों उस पुरे कमरे में गूंजे )


र. आरती :- ( आरती में माता चंडिका की कोई भी आरती गायें जैसे कि " ॐ जय अम्बे गौरी " या फिर " मंगल कि सेवा सुन मेरी देवा हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़े "


ल. प्रदक्षिणा :- प्रदक्षिणा / परिक्रमा के लिए यदि पूजा स्थल में पर्याप्त जगह न हो तो अपने स्थान पर खड़े होकर चारों तरफ घूम जाएँ और कल्पना करें कि माँ कि परिक्रमा कर रहे हैं )





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